Thursday 30 July 2020

तुझसे अच्छा कोई नहीं है मां

बाकी सब रिश्ते झूठे..इक तेरा रिश्ता सच्चा है मां..
सब तोड़ते हैं वादे यहां मगर तेरा हर वादा पक्का है मां..
इस धरती पर तुझसे अच्छा कोई नहीं है मां।।

हम रो देते हैं इक छोटी सी चोट पर..
और तुम बड़े से बड़ा दर्द भी चुपचाप सह लेती हो मां..
इस धरती पर तुझसे अच्छा कोई नहीं है मां।।

हम बैठे बैठे थक जाते हैं...जब मन करता सो जाते हैं..
और तुम सब करने के बाद भी उफ्फ तक नहीं करती हो मां..
इस धरती पर तुझसे अच्छा कोई नहीं है मां।।


बिन बोले ही हर बात मेरी तुम समझ लेती हो मां..
हर जरूरत का ख्याल रख उसे बड़ी सहजता से पूरा कर देती हो मां..
इस धरती पर तुझसे अच्छा कोई नहीं है मां।।

जब छोड़ देती है साथ दुनिया तुम उस वक़्त भी पास रहती हो मां..
आंसू पोंछ अपने आंचल से हमारे..जीने की नई राह दिखाती हो मां।।
इस धरती पर तुझसे अच्छा कोई नहीं है मां।।

कितना भी लिख लूं.. मगर ये शब्द तेरे आभार में बेहद ही कम हैं मां..
तुम सिर्फ एक शब्द नहीं मेरे लिए.. तुम तो मेरी पूरी ज़िंदगी हो मां।।
तेरी हिम्मत, सहनशीलता व ममता को हर पल मेरा सलाम है मां।।
इस धरती पर तुझसे अच्छा ना कोई था.. ना कोई है और ना कभी कोई होगा मां।।

Monday 27 July 2020

कोरोना की ऐसी पड़ी मार

कोरोना की ऐसी पड़ी मार...
अच्छे अच्छे हो गए लाचार।।

महीनों गुजर गए...
देखते-देखते घर की चार दीवार।।
कोरोना खौफ़ के मारे... 
नहीं जा पा रहे कहीं बाहर।।

रिश्ते-नातों में आ रही दरार...
मना कर रहे जब एक-दूजे को सब... 
मत आओ तुम हमारे द्वार।। 
फोन पर ही जी-भर बात करो ना यार...
वीडियो कॉल से चाहे कर लो दीदार।।

कोरोना की ऐसी पड़ी मार...
सब मजदूर चल दिए अपने घर-बार।।
खाली हुए शहरों से कमरे...
नहीं मिल रहा आजकल कोई किरायेदार।।

कोरोना की ऐसी पड़ी मार...
कुछ तो हो गए बेरोजगार।।
तो कुछ बैल जैसे जुते हैं... 
घंटों काम पर लगातार।।
सैलरी भी काटी जा रही है यार...
नहीं बढ़ेगी अब अगले साल दो साल।। 

कोरोना की ऐसी पड़ी मार...
स्कूल-कॉलेज खुलने के नहीं कोई आसार।।
घर-घर होने लगी है ऑनलाइन क्लास...
मम्मियां भी बन गई हैं टीचर जैसी खास।। 

कोरोना ने ऐसे लगाई सबकी वाट..
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, गिरजाघर
सब ने बंद किए अपने कपाट।।
यात्राओं को भी टाल दिया इस बार।।

कोरोना ने ऐसे बिगाड़ दिए हालात...
मरीजों की तेजी से बढ़ गई तादाद...
भर गए सारे-के-सारे अस्पताल।।
कुछ रोगी भाग निकले, 
देख क्वारंटाइन का अत्याचार..
कुछ भटक रहे पाने को जल्द इलाज।।

डॉक्टर-नर्स बचाने में लगे हैं..
लोगों की कीमती जान।।
खुद की मौत पर मिल रही उनको... 
कोरोना योद्धा की पहचान।।
मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा लगातार...
खाली न बचा अब कोई भी मुर्दाघर-कब्रिस्तान।।

कोरोना ने ऐसे मचाया कोहराम...
अच्छे-अच्छे हो गए परेशान।।
शहरों से गांव तक सब कर रहे सैनेटाइजर इस्तेमाल...
यूं तो अधिकतर अब तक डेटॉल से भी थे अनजान।।
बच्चे से बूढ़े तक सब हाथ धोने में लगे हैं कई-कई बार...
रगड़-रगड़ के साफ कर रहे सब्जी से लेकर हर इक सामान।।

कोरोना ने ऐसे मचाया कोहराम...
रईसजादों को भी आ गया करना अपना काम।।
घर-घर में बनने लगे तरह-तरह के पकवान...
इंटरनेट ने बना दिया सबको पाक कला में महान।।

कोरोना ने  सीखा दिए खैर काफी अच्छे काम...
फिजूल खर्ची पर लगा दी सबकी लगाम।।
दो जोड़ी कपड़ों में कट रही अब ज़िंदगी सुबह-शाम...
अलमारी को भी सुकून है, 
थक गई थी देख कपड़ों का जाम।।

कोरोना  ने ऐसे किया उजाड़
पूरी अर्थव्यवस्था गया बिगाड़।।
बंद पड़े हैं अधिकतर बाजार...
मंदा चल रहा कारोबार।। 
सोना पहुंचा दिया 50 हजार के पार...
जौहरियों को नहीं मिल रहा कोई खरीदार।।
कोरोना की ऐसी पड़ी मार...
अच्छे अच्छे हो गए लाचार।।

Sunday 26 July 2020

राखी पर कोरोना का वार

आने को है राखी का त्यौहार...
बहनें हैं एकदम तैयार...
जाने को भाई के द्वार...
रेशम की डोरी ले... 
बांधने को अटूट प्यार।।

कुछ भाई ऐसे हैं...
जो कह रहे हैं बारम्बार...
न आना बहना तू इस बार...
कर रहा है ये कोरोना चुपके से वार।।

वहीं कुछ ने तो कह दिया ये...
वर्चुअल रक्षाबंधन मना ले बहन तू इस बार...
सुधर जाएंगे जब हालात अगली बार...
तो बांध लेना कलाई पर मेरी ...
तू प्यार का धागा हजार बार।।

क्या करें अब बहनें...
हो गई हैं वो उदास...
भाई का सुन ऐसा विचार...
कोस रहीं कोरोना को लाखों बार।।

खैर.. नादां नहीं वो, 
हैं काफी समझदार... 
मान गई हैं भाई की बात...
कह दिया, ठीक है न आऊंगी मैं इस बार...
वर्चुअल राखी बांध मान लेंगे त्यौहार...
मगर भूल न जाना तुम देना मेरा उपहार।। 

Thursday 23 July 2020

कोरोना लॉकडाउन का असर


कोरोना काल ने हम सबको बना दिया बंदी...
मगर देखो  ज़रा ये नज़ारा लग रहा कितना हसीं...
अभी कितना साफ है आसमां ☁️
कितनी सुरक्षित है ज़मीं ♻️
कितनी शुद्ध है हवा 🌀
कितनी निर्मल है नदी 🌊
आज देखा हमने 😎
कितनी खूबसूरत है प्रकृति 🏞️


कोरोना काल ने हम सबको बना दिया बंदी...
मगर देखो  ज़रा ये नज़ारा लग रहा कितना हसीं..
चहचहा रहे हैं पक्षी 🐦
खुल के सांस ले रहे हैं हम 🧘
चमक रहे हैं तारे ✨
कितना कम हो चुका प्रदूषण 🏭
आज जाना हमने 💁
कितना खुशनुमा है वातावरण 🏝️

कोरोना काल ने हम सबको बना दिया बंदी...
मगर देखो  ज़रा ये नज़ारा लग रहा कितना हसीं...
काश! ऐसे ही रहे ये नज़ारा 🌄
जो लग रहा है इस वक़्त बेहद प्यारा 😊
बस दुआ है ये रब से 🤲
कि महामारी से बच जाए संसार हमारा 🌍



Monday 20 July 2020

कहां महफूज़ हैं महिलाएं...?

किसी ने देखी है वो जगह...???


जहां महफूज़ हों महिलाएं....???
कहां है वो जगह...???
कहीं हो तो बताओ...???

मैंने नहीं देखी...
इसलिए आपसे पूछ बैठी...
आपने देखी हो शायद...!!

मुझे भी बताना तो वो ठिकाना...???
जहां महफूज़ महसूस करती हों महिलाएं...!!
मैं भी तो देखूं कैसा है उनका वो आशियाना...???

मैंने हर जगह अपनी नज़रों को दौड़ाया...
पर कहीं भी उनको महफूज़ नहीं पाया...

कभी मां के गर्भ में मरते देखा...
कभी पिता के घर में दम तोड़ते देखा...

न भाई का संरक्षण मिलते देखा...
न दोस्त से सहारा पाते देखा...

ससुराल में हमेशा पिटते देखा...
पति से यातनाएं पाते हुए देखा...

घर में अत्याचार सहते हुए देखा...
बाहर हवस का शिकार बनते देखा...

आखिर कहां है वो जगह...???
जहां महफूज़ हों महिलाएं...
किसी ने देखी हो तो बताओ...???
मैंने नहीं देखी...
इसलिए आपसे पूछ बैठी...
आपने देखी हो शायद...!!!!


मेरी मां

मां मेरी मां....
तुमसे ही हैे ये मेरा जहां...
बिन तेरे मेरा अस्तित्व कहां...
तेरी बदौलत ही बना पाई मैं अपनी पहचान।।

मां मेरी मां...
मेरे खातिर तुमने कितना कुछ सहा...
फिर भी कुछ न बोली...
और मांगती रही बारम्बार मेरे लिए दुआ...
तेरी बदौलत ही आसां हुई मेरी मुश्किल राह।।

मां मेरी मां....
तुम-सा इस दुनिया में कोई कहां...
होता है जब दर्द मुझे तो निकलती है तेरी आह...
आंसू गिरे जो आंख से मेरी तो झट से फैला लेती है अपनी बांह...
तेरी बदौलत ही आ पाती है मेरे चेहरे पर बड़ी-सी मुस्कान।।

मां मेरी मां...
तेरा दिल ही मेरा मंदिर है...
तू ही है मेरी आराधना...
कितना भी कर लूं मैं...
पर तेरे दूध का कर्ज.. कभी ना कर पाऊंगी अदा।।

मां मेरी मां...
तू जानती है ना...
तेरी बदौलत ही तो सीख सकी मैं...
संस्कार और सम्मान देना...
मां मेरी मां... 
मुझे  इस दुनिया में लाने के लिए...
तह दिल से तेरा शुक्रिया।।






Friday 17 July 2020

यादें

ना तुम गए यादों से कभी...
ना ही गईं ये तारीखें।।
बदलने को तो बदल गईं...
कितनी ही तारीखें...
कितने ही दिन...
कितने ही महीने...
और बदल गए कितने ही साल...
मगर नहीं बदलीं ये दो (28-29) तारीखें कभी...
और ना ही बदला ये मास (मार्च) हमारे लिए... 
शायद, हमने बदलना ही नहीं चाहा कभी इन तारीखों को...
या यूं कहूं...
अहम हो चुकीं हैं ये तारीखें...
और ये मास सदा के लिए।।

ना तुम गए यादों से कभी...
ना ही गईं ये तारीखें।।
समझ नहीं आता क्या करें इन दो तारीखों में...
पहली में रो दें या दूसरी में खुश हो लें...
कौन करता है ऐसे...
जैसे तुमने किया हमारे साथ...
दूर जाना ही था...
तो आए क्यों थे हमारे पास।।

ना तुम गए यादों से कभी...
ना ही गईं ये तारीखें।।
ऐसा कोई दिन नहीं...
जब याद तुम आए नहीं...
मगर इन तारीखों की याद ही कुछ और रही...
सिमटे हुए नहीं हो तुम सिर्फ़ इन दो तारीखों में..
ना ही सीमित रखा है इन तारीखों में हमने तुम्हारी यादों को..
तुम तो शामिल थे, हो और सदा रहोगे...
हमारी जिंदगी के हर पल में।